एजेंसी, नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी और कांग्रेस समेत कई दलों के भारी विरोध के बावजूद लोकसभा में आज गुरुवार को दिल्ली सेवा बिल पास हो गया. बिल के विरोध में विपक्ष ने वोटिंग से पहले ही सदन से वॉकआउट कर दिया था. जबकि असदुद्दीन ओवैसी और हनुमान बेनीवाल सदन में मौजूद रहे. संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली सेवा बिल पेश किया जाएगा. बीजेपी ने अपने सभी राज्यसभा सांसदों के लिए सदन में उपस्थित होने को लेकर व्हिप जारी कर दिया है.
दूसरी ओर, दिल्ली सेवा बिल के विरोध में आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू ने पर्चा फाड़कर आसन की तरफ फेंका, जिसकी वजह से सांसद को शेष सत्र के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया. विपक्षी सांसदों के एनसीटी दिल्ली अमेंडमेंट बिल के खिलाफ वोटिंग से पहले ही वॉक आउट किए जाने के बाद बिल को ध्वनि मत से पास कर दिया गया. बिल के पास होते ही लोकसभा की कार्यवाही कल 4 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई.
इससे पहले दिल्ली सेवा बिल पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की ओर से लंबे समय तक बिना किसी टकराव के दिल्ली में शासन किया गया. लेकिन 2015 में समस्या तब शुरू हो गई जब दिल्ली में एक ऐसी सरकार आई जिसका मकसद सेवा करना नहीं, बल्कि लगातार झगड़ा करते रहना है. बिल के समर्थन में बोलते हुए शाह ने कहा कि सरकार को नए नियम बनाने पड़े क्योंकि पहले नियम के हिसाब से नहीं चल रहे थे. बाल कृष्ण रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की कार्य और सेवा प्रणाली केंद्र सरकार के अधीन होनी चाहिए.
दिल्ली सेवा बिल जिसे आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 के रूप में जानते हैं. दिल्ली सेवा बिल मौजूदा अध्यादेश की जगह लेगा जो दिल्ली सरकार को अधिकांश सेवाओं पर नियंत्रण देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रद्द करता है. अध्यादेश को लेकर अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली AAP और केंद्र के बीच टकराव बना रहा है. हालांकि विधेयक पेश होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह दिल्ली के लोगों को गुलाम बनाने वाला बिल है. अपने एक ट्वीट में केजरीवाल ने कहा कि बिल का समर्थन करने के लिए अमित शाह के पास एक भी वाजिब तर्क नहीं है. वह इधर-उधर की फालतू बातें कर रहे थे. उन्हें खुद मालूम है कि वह गलत कर रहे हैं.