मैं देख रहा हूँ आपके घरों में बीमारियां, तकलीफें, टेंशन, धन की कमी आदि बराबर बनी हुई हैं, अब उपाय ले लो
झारखंड स्थित आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि मेहनत करते हैं, मेहनत का फल मिलता है। पैसा रूपया बहुत हो गया।
रांची (झारखंड) : ऐसी सही सच्ची पूजा इबादत बताने वाले जिसे वो प्रभु सुन ले, कबूल कर ले और खुश होकर इस शरीर और जीवात्मा दोनों के संकट दूर कर दे, केवल भौतिक संपन्नता से सब दुःख दूर नहीं होते इस बात को समझाने वाले, घर-घर में फैल चुकी विभिन्न तरीके की तकलीफों, रोगों का उपाय बताने वाले, त्रिकालदर्शी दुःखहर्ता परम दयालु मौजूदा सन्त सतगुरु उज्जैन के बाबा उमाकान्त जी ने 19 जून 2022 को रांची झारखंड स्थित आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि मेहनत करते हैं, मेहनत का फल मिलता है। पैसा रूपया बहुत हो गया। बढ़िया घर मोटर कार खरीद लिया, सारी सुविधा है लेकिन मानसिक शांति नहीं है। कुछ न कुछ सोचते रहते हैं, परेशानी में डूबे रहते हैं, चैन की रोटी नहीं खा पाते हैं। खाते हैं तो उसका कोई स्वाद नहीं मिलता क्योंकि मन कहीं और है, सोचते कुछ और हैं कि कैसे बिजनेस व्यापार बढ़ाए, एक लाइसेंस और ले ले, कैसे एक दुकान है चार दुकान कर लें, कैसे खेती में और पैदा कर ले। तो मन इधर-उधर रहता है कहीं लड़के से लड़ाई, कहीं पति-पत्नी की लड़ाई, कहीं बच्चे-बच्चे लड़ते रहते हैं। घर में पैसा रूपया होते हुए भी अशांति है। अशांति कैसे जाएगी? रोग कैसे जाएगा? सीधी-सीधी बात आपको बता रहा हूं। आपके रोग, तकलीफ कैसे जाएंगे, रुपया पैसे में बरकत कैसे होगी? आमदनी कैसे बढ़ेगी? यह आपको बताता हूं।
*विदेशों से भी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और भारत देश के भी बड़े-बड़े अधिकारी कर्मचारी नेता सब मेरे पास आते हैं*
मैं देख रहा हूं कि आपको इस समय तीनों चीजों की जरूरत है। गुरु महाराज के पास हर तरह के लोग आते थे, अरबपति खरबपति, रंकपति। रंकपति वो जिसके पास कुछ बचता ही नहीं; दिन में कमाता, शाम को मांग कर खाता या उसी में उसको पूरा पड़ जाता है। अरबपति, खरबपति, राजा-महाराजा, बड़े-बड़े अधिकारी, जज, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति सब आते थे। गुरु महाराज की दया से ही हमारे पास भी हर तरह के लोग आते हैं। विदेश में जाता हूं तो वहां के भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री आते हैं। देश में भी।
*मैं देख रहा हूँ आपके घरों में बीमारियां, तकलीफें, टेंशन, धन की कमी आदि बराबर बनी हुई हैं, अब उपाय ले लो*
इसमें (सतसंग में आए श्रद्धालुओं में) देख रहा हूं, छोटे लोग ज्यादा हो। बड़े लोग भी हैं लेकिन कम हैं। ये लुक-छुपकर सुनने के लिए आते हैं, सुनकर चले जाते हैं, दिखावा नहीं करते, ऊंचे पद पर हैं। आपको देख रहा हूं। गांव के लोग, बच्चे, बच्चियों, आपकी मासूमियत को देखकर, चेहरे को, पहनावे को देख करके यह लगता है कि जिसको गरीब कहते हैं आप वो गरीबी, तकलीफ झेल रहे हो। आपके घरों में बीमारियां बनी हुई हैं, साथ नहीं छोड़ रही। एक ठीक हुआ दूसरा फिर तीसरा बीमार। पैसे की इतनी कमी है कि आप इलाज भी नहीं करा पाते हो, डॉक्टर को भी नहीं दिखा पाते हो, आपके यहां समस्या है पैसे की। आमदनी थोड़ी बहुत होती भी है तो बरकत नहीं होती। खर्चा ज्यादा हो जाता है, आमदनी उस हिसाब से दिखाई नहीं पड़ती। मैं यह भी देख रहा हूं कि चाहते हुए भी आप तरक्की नहीं कर सकते हो। यह तो जीवन जीना बड़ा मुश्किल हो रहा है सब लोगों का। तो सबके लिए उपाय आपको बताता हूं।
*प्रेमियों! ऐसी व्यवस्था बनाओ कि गांव-गांव में ऐसे आदमी हो जाएं कि इनकी तकलीफों को दूर करने में करे मदद*
अब एक-एक आदमी को दवा, उपाय बताने का समय नहीं है। तकलीफ वाले बहुत ज्यादा बढ़ते जा रहे हो। कुछ लोगों का मैंने देखा कि एकदम से चेहरा तकलीफ में ही है। छोटे बच्चे वह भी बीमार, डरते, चौंकते हैं, कुछ न कुछ उनको भी लगा रहता है, गुस्सा, क्रोध में रहते हैं। कुछ बता भी नहीं पाते। आप सतसंगों में इनको लाते हो, अपनी भाषा में समझाते, बताते हो कि चलो वहां तुम्हारा दु:ख दूर होगा, सुख-शांति का रास्ता मिलेगा, गरीबी दूर होगी, समझाते हो। जो बताया जाता है, आप इनको समझाना। आप जो जिम्मेदार लोग हो आप ऐसी व्यवस्था बनाओ कि गांव-गांव में आपके ऐसे आदमी हो जाएं कि इनकी तकलीफों को दूर करने में मदद करें।
*जिनको नामदान मिल गया, इसका जाप करने से आत्मा और शरीर दोनों का संकट होगा दूर*
देखो! सबसे बड़ा मंत्र तो यही नाम (नामदान) है जो गुरु महाराज ने प्रेमियों को दिया। गुरु महाराज के जाने के बाद (अब भी) दिया जा रहा है। जैसे कहते हैं मंत्र का जाप करो तकलीफें चली जाएंगी। आपकी जीवात्मा की और शरीर की दोनों तकलीफें इस मंत्र से जाएगी। जो यज्ञ, जप, तप करते हैं, उसके शरीर के कष्ट जाते हैं, उससे धन पुत्र-परिवार में थोड़ी बढ़ोतरी हो जाती है लेकिन जीवात्मा का कष्ट नहीं जाता, मानसिक तकलीफ नहीं जाती है, यह संकट दूर नहीं होता है लेकिन जो यह नाम बताया जाता है, इस नाम से यह सारे संकट दूर होते हैं।
*जैसे बच्चे को स्कूल में विश्वास के साथ भर्ती कराते हो ऐसे ही जो बताया गया उसे विश्वास के साथ करो*
लेकिन मुख्य चीज यह है कि विश्वास हो जाए तब। विश्वास अगर नहीं होता है तो आदमी आगे नहीं बढ़ पाता है। अपने बच्चे को स्कूल में विश्वास, उम्मीद के साथ भर्ती कराते हो कि स्कूल, मास्टर अच्छे हैं, हमारे लड़कों का पढ़ा करके कमिश्ननर कलेक्टर बना देंगे, ऊंचे ओहदे पर पहुंचा देंगे, यह देश समाज परिवार हमारी सेवा करेगा। ऐसे ही (यहां भी) उम्मीद आपको रखना चाहिए, उम्मीद खत्म नहीं करना चाहिए।
*पहाड़ पर चढ़ने जैसे लक्ष्य बनाते हो, ऐसे ही प्रेमियों लक्ष्य बनाने की जरूरत है*
हिम्मत बराबर देते रहना चाहिए साधकों को। जिनको नामदान दिलाया जाए औऱ अपने मन को भी हिम्मत देते रहना चाहिए की हारो नहीं, जीतेंगे, जरूर जीतेंगे। पहाड़ पर जो चढ़ते हैं हिम्मत हार जाये तो नहीं चढ़ सकते। कहीं कोई मानलो गिर गया, लुढ़क गया, मर गया फिर भी वो नहीं डरते हैं, लक्ष्य बनाते हैं कि हमको पहाड़ शिखर पर चढना है, हमको ऊपर जाना है तो विश्वास करना चाहिए। तो आप विश्वास करो। जिसको नामदान मिल गया उसका करो जाप। सुमरिन, ध्यान, भजन जो आपको बताया गया उसको आप रोज करो।