कानपुर देहातउत्तरप्रदेशफ्रेश न्यूज

राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड के सामने पेश नहीं हो रहे फर्जी दिव्यांग शिक्षक

फर्जी विकलांग प्रमाणपत्र के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी करने वालों पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नकेल कसती जा रही है। हालांकि सभी फर्जी शिक्षकों को पकड़ पाना बहुत ही टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। विभागीय अधिकारी ऐसे शिक्षकों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

Story Highlights
  • फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट लगाकर हथियाई है नौकरी

कानपुर देहात , अमन यात्रा : फर्जी विकलांग प्रमाणपत्र के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी करने वालों पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नकेल कसती जा रही है। हालांकि सभी फर्जी शिक्षकों को पकड़ पाना बहुत ही टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। विभागीय अधिकारी ऐसे शिक्षकों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। दिव्यांगता का सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी कर रहे शिक्षकों को राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड के समक्ष जांच हेतु उपस्थित होने के निर्देश कई बार दिए गए हैं लेकिन ये शिक्षक मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनके द्वारा फर्जी तरीके से विकलांग सर्टिफिकेट बनवाया गया है उन्हें विकलांगता का कोई भी लक्षण नहीं है इसकारण से वे मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे हैं। बार-बार आदेश के उल्लंघन के बाद शिक्षा निदेशक डॉ सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने संबंधित जनपदों के डाइट प्राचार्य एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को ऐसे शिक्षकों के ऊपर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। बताते चलें

ये भी पढ़े- निपुण भारत फेलोशिप योजना के तहत बेसिक शिक्षा विभाग में 4 वर्ष के लिए संविदा पर रखे जायेंगे शिक्षक

विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, 2008 ( विशेष चयन) व 2008 भर्ती प्रक्रिया के 189 दिव्यांग शिक्षकों ने मेडिकल बोर्ड से जांच करवाकर प्रमाण पत्र हासिल नहीं किया है। इन पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र से नौकरी हासिल करने का आरोप है। ये शिक्षक 2016 से 2022 के बीच कभी मेडिकल बोर्ड के सामने जांच के लिए पेश नहीं हुए। इन शिक्षकों को अंतिम बार कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद कार्यवाही होगी। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के निदेशक डॉ. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह के आदेशानुसार जून 2022 में जांच का अंतिम अवसर देते हुए चेतावनी दी गई थी। इस चेतावनी के बाद कुल 220 दिव्यांग शिक्षकों/अभ्यर्थियों में से सिर्फ 31 ने ही मेडिकल बोर्ड से स्वास्थ्य परीक्षण कराया है।

ये है मामला

विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, 2008 (विशेष चयन) व 2008 भर्ती प्रक्रिया में बड़ी संख्या में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों के सहारे अभ्यर्थियों के चयनित होने के आरोप लगे थे। इसको लेकर यह मामला अदालत तक गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से दिव्यांग अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की जांच कराने के आदेश दिए थे। इसी क्रम में 2016 से जांच शुरू हुई और सभी दिव्यांग प्रमाणपत्र लगाने वाले अभ्यर्थी बुलाए गए, लेकिन उनमें 189 शिक्षक / अभ्यर्थी अब तक बोर्ड के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं। इन्हीं पर अब अंतिम कार्यवाही की तैयारी है।

43 जिलों में तैनात हैं फर्जी दिव्यांग शिक्षक

ये शिक्षक कानपुर देहात समेत आगरा, हाथरस, मथुरा, एटा, बदायूं, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, कन्नौज, फर्रुखाबाद, औरैया, मुजफ्फरनगर, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, जालौन, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती, चित्रकूट, बांदा व हमीरपुर में तैनात हैं।

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE


Discover more from अमन यात्रा

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Articles

Leave a Reply

AD
Back to top button

Discover more from अमन यात्रा

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading