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।। प्रेमपत्र एक, नामें हमनवा  ।।

।। प्रेमपत्र एक, नामें हमनवा  ।। लिखने को बैठा  कुछ अंशे मोहब्बत  ज़िगर के कागज़ दरमियान ।।

।। प्रेमपत्र एक,

नामें हमनवा  ।।
लिखने को बैठा
कुछ अंशे मोहब्बत  ज़िगर के
कागज़ दरमियान ।।
पर,
याद आया जो,भाव
उतारने को हूं मैं बेताब
लहू की स्याही बना उस काग़ज़ के टुकड़े पर
उसको भी
खरीदने में लगता हैं पैसा ।।
जज़्बात
जो,दिल के नाम करना चाहता हूं
हमनवा के
कागज़,कलम और दवात के जरिए
उसको भी हासिल करने में लगता हैं पैसा ।।
प्रेम
ने भी पहन लिया हैं जब से,कलयुगी चोला
अब तो गालिब!
इश्क़ के पवित्र अंश को
बयां करने में जैसे,
खर्च होता हैं पैसा ।।
सुन,
वो हमनवा
फिर,कैसे और कब लिखूं प्रेम के
मोती बिखराकर काग़ज़ पर
जब,
सब कुछ हैं यहां बिकाऊं
तब,कैसे अदा करूं
कुछ अल्फाज़ प्रेम के तेरे दिल के नाम
तेरे दिल के नाम ।।
❤️
स्नेहा की कलम से……………………….………
साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक
कानपुर उत्तर प्रदेश
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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

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