उत्तरप्रदेशकानपुर देहातफ्रेश न्यूजलखनऊ

अध्यापक दंपती अगर दूसरे जिलों में नियुक्त तो पति को अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का हक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त पुरुष अध्यापकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि विशेष परिस्थिति में पुरुष अध्यापकों का भी अंतरजनपदीय स्थानांतरण किया जा सकता है।

अमन यात्रा, लखनऊ / कानपुर देहात।   इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त पुरुष अध्यापकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि विशेष परिस्थिति में पुरुष अध्यापकों का भी अंतरजनपदीय स्थानांतरण किया जा सकता है। इसमें एक जिले में पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने की बाध्यता लागू नहीं होगी।कोर्ट ने कहा कि पति और पत्नी दोनों परिषदीय विद्यालय में अध्यापक हैं तो पति द्वारा अंतरजनपदीय स्थानांतरण की मांग की जा सकती है। भले ही उसने अपनी नियुक्ति वाले जिले में पांच वर्ष का आवश्यक कार्यकाल पूरा न किया हो।

ये भी पढ़े-  देश बचाओ, देश बनाओ समाजवादी पदयात्रा कल

न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने पति-पत्नी को एक ही जिले में नियुक्त करने की मांग को लेकर दाखिल संजय सिंह व आठ अन्य अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए निदेशक बेसिक शिक्षा को आदेश दिया कि एक माह के भीतर इन अध्यापकों के प्रत्यावेदन पर नए सिरे से निर्णय लें। कोर्ट ने निदेशक द्वारा इन अध्यापकों की अंतरजनपदीय स्थानांतरण की मांग रद्द करने का आदेश भी खारिज कर दिया है। याचियों के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि याची प्रदेश के विभिन्न जिलों में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हैं। जबकि उनकी पत्नियां भी परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापिका हैं और वे दूसरे जिलों में नियुक्त हैं। याचियों ने अपना स्थानांतरण अपनी पत्नियों के जिले में करने की मांग में याचिका दाखिल की थी।

ये भी पढ़े-  फुटबॉल एवं कबड्डी प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने हेतु करें संपर्क

अनिरुद्ध कुमार त्रिपाठी व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पांच अक्टूबर 2021 को अपने आदेश में कहा कि सामान्य स्थिति में पुरुष अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए एक जिले में पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करना अनिवार्य है। विशेष परिस्थिति में पांच वर्ष की इस बाध्यता में छूट दी जा सकती है। कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा को इस आदेश के आलोक में उनके प्रत्यावेदन पर विचार कर निर्णय लेने के लिए कहा था लेकिन निदेशक ने छह अप्रैल 2022 के आदेश से याचियों का प्रत्यावेदन इस आधार पर खारिज कर दिया उनकी नियुक्ति के पांच साल अभी पूरे नहीं हुए हैं इसलिए अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नहीं किया जा सकता।

Print Friendly, PDF & Email
AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

AD
Back to top button