गोरखपुरउत्तरप्रदेशफ्रेश न्यूज

बच्‍चे के पेट में दर्द था, आपरेशन के बाद पेट से जो न‍िकला उसे देखकर पैरों तले ख‍िसक गई जमीन

बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने देवरिया के पिपरा मिश्र निवासी जिस बच्चे के पेट का आपरेशन कर 13 टूथ ब्रश व एक तीन इंच की कील निकाली थी, उसकी तबीयत में काफी सुधार है। डाक्टरों का कहना है कि आपरेशन के बाद घाव भरने में 72 घंटे लगते हैं,

गोरखपुर, अमन यात्रा । बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने देवरिया के पिपरा मिश्र निवासी जिस बच्चे के पेट का आपरेशन कर 13 टूथ ब्रश व एक तीन इंच की कील निकाली थी, उसकी तबीयत में काफी सुधार है। डाक्टरों का कहना है कि आपरेशन के बाद घाव भरने में 72 घंटे लगते हैं, इसलिए अभी उसे कुछ भी खाने-पीने को नहीं दिया जा रहा है। वह दवा व ग्लूकोज पर है। उसकी तबीयत में तेजी से सुधार हो रहा है। स्वजन से उसके स्वास्थ्य को लेकर प्रसन्नता व्यक्त की है। उनका कहना है कि अब बच्चे को पेट दर्द नहीं है। वह स्वस्थ हो रहा है।

यह है मामला

14 वर्षीय हरिकेश को मिट्टी खाने की आदत है। उसे छुड़ाने के लिए तांत्रिक की सलाह पर स्वजन उसे टूथब्रश व कील खिला रहे थे। मिट्टी खाने की आदत तो नहीं छूटी लेकिन पेट दर्द शुरू हो गया। उसे स्वजन लेकर मेडिकल कालेज पहुंचे। जांच के बाद पता चला कि उसके पेट में टूथ ब्रश व कील है। शनिवार को उसका आपरेशन किया गया।

अभी अंधविश्वास में जी रहे स्वजन

हरिकेश की मां मनभावती देवी का कहना है कि अभी भी बच्चे की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। लग रहा है कि भूत-प्रेत का कोई साया इसके ऊपर है। गांव के लोग कहे हैं कि आपरेशन कराकर आओ तो उसकी मानसिक स्थिति के बारे में किसी को दिखाया जाएगा। उसके ऊपर कोई साया है।

खरीदनी पड़ी दवा, दो दिन रहे भूखे

मनभावती देवी का कहना है कि पांच हजार रुपये कर्ज लेकर घर से चली थी। जो देवरिया से लेकर गोरखपुर तक इलाज में खर्च हो गए। शनिवार को आपरेशन के समय 1300 रुपये की दवा बाहर से खरीदनी पड़ी। इसके बाद पैसे खत्म हो गए। तभी से हम लोग भूखे रहे। मरीज के लिए अस्पताल से एक पैकेट दूध मिला है। रविवार को बच्चे के चाचा घर से खाना लेकर आए तो हम लोग खाए।

स्वजन की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं

स्वजन की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मनभावती का कहना है कि उनके पति जयराम मजदूरी करते हैं। किसी तरह घर का खर्च चलता है। हमारे पास बीपीएल कार्ड भी नहीं है। जो राशन कार्ड है उसमें भी एक साल पहले बच्चों का नाम कट गया है। हरिकेश जन्म से बाएं पैर से विकलांग है। कक्षा पांच तक पढ़ा है। तीन साल पहले उसने पढ़ाई छोड़ दी।

इस तरह के आपरेशन होते रहते हैं। लेकिन पेट से टूथ ब्रश व कील निकलने का मेडिकल कालेज में पहला मामला है। उसकी तबीयत में अब काफी सुधार है। सोमवार की शाम से उसे जूस व मंगलवार की शाम से उसे भोजन दिया जाएगा। अभिभावकों को बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना चाहिए। तबीयत खराब होने पर ओझा-सोखा के चक्कर में न पड़ें। डाक्टर को दिखाएं। – डा. अशोक यादव, सर्जरी विभाग, बीआरडी मेडिकल कालेज

मेडिकल कालेज में निश्शुल्क इलाज होता है। निश्शुल्क दवाएं मिलती हैं। यदि मरीज के स्वजन को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ी हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी। एक तीमारदार को भोजन भी मिलता है लेकिन इसके लिए उसे डाक्टर या प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक से कहना चाहिए था। वह लिख देते तो भोजन उपलब्ध करा दिया जाता। – डा. गणेश कुमार, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कालेज

aman yatra
Author: aman yatra


Discover more from अमन यात्रा

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Articles

AD
Back to top button

Discover more from अमन यात्रा

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading