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नौकरी जाने के खौफ से शिक्षक टेट की तैयारी में जुटे, राहत मिलने की संभावना नगण्य

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य हो गया है।

कानपुर देहात। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य हो गया है। इस निर्णय के बाद शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर राहत की मांग कर रहा है लेकिन कई शिक्षक अब मान चुके हैं कि केवल विरोध से कुछ नहीं होगा इसलिए उन्होंने टीईटी की तैयारी शुरू कर दी है।

कई शिक्षक तो स्कूलों में भी पढ़ाई करते दिख रहे हैं और कई शिक्षक बदनामी के डर से अपने-अपने घर में कई कई घंटे पढ़ाई कर रहे हैं। व्हाट्सएप ग्रुपों पर इस समय शिक्षक टीईटी सिलेबस के आधार पर सामान्य ज्ञान और अन्य विषयों से संबंधित सामग्री भी शिक्षक एक दूसरे को साझा कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच साल से अधिक है उन्हें हर हाल में टीईटी देना ही होगा अन्यथा उनकी नौकरी समाप्त हो सकती है। वहीं पदोन्नति चाहने वाले शिक्षकों के लिए भी टीईटी पास करना जरूरी कर दिया गया है।

बहुत से शिक्षक अब यह मान कर चल रहे हैं कि टीईटी से राहत नहीं मिलने वाली है। शासन ने 29 और 30 जनवरी को शिक्षक पात्रता परीक्षा की तिथियां प्रस्तावित की हैं। आवेदन की प्रक्रिया भी जल्द ही शुरू होने वाली है। ऐसे में बड़ी संख्या में शिक्षक पढ़ाई में जुट गए हैं। उनका मानना है कि समय रहते तैयारी करना ही सबसे सुरक्षित रास्ता है। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने भी शिक्षकों से अपील की है कि वे समय बर्बाद किए बिना सिलेबस के अनुसार पढ़ाई शुरू कर दें। उन्होंने कहा कि अगर शिक्षक गंभीरता से तैयारी करें तो टीईटी पास करना कठिन नहीं है। टीईटी में केवल क्वालीफाई करना ही शिक्षकों को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त होगा।

गौरतलब है कि इससे पहले शिक्षामित्रों के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों को फिर से शिक्षामित्र बनना पड़ा था। यही वजह है कि इस बार शिक्षक किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते और पूरी तैयारी में जुट गए हैं। शिक्षकों को यह आभास हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में कोई भी परिवर्तन नहीं करने वाला अगर उन्होंने पढ़ाई में जरा भी ढिलाई बरती तो नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

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Author: aman yatra


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