निर्धारित समय सारणी के अनुसार शिक्षकों को करना होगा शैक्षणिक कार्य
प्रदेश के सभी परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट स्कूल एक तय समय-सारिणी के अनुसार संचालित होंगे।

कानपुर देहात। प्रदेश के सभी परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट स्कूल एक तय समय-सारिणी के अनुसार संचालित होंगे। समग्र शिक्षा अभियान के तहत सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेजे गए हैं कि प्रत्येक विद्यालय में पढ़ाई, गतिविधियों और मध्याह्न भोजन समेत हर कार्य तय समय पर हो। नया टाइम-टेबल प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। हर पीरियड की शुरुआत में पिछली कक्षा की पुनरावृत्ति, फिर पाठ पढ़ाना और अंत में संक्षेप में दोहराव जरूरी होगा। यह सुनिश्चित करना प्रधानाध्यापक या इंचार्ज की जिम्मेदारी होगी। शिक्षा शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी का कहना है कि जब शिक्षा व्यवस्था में शिक्षक को यह बताया जाने लगे कि उसे क्या पढ़ाना है किस क्रम में पढ़ाना है और किस तरह से बच्चों की प्रगति को मापना है तो धीरे-धीरे उसकी सबसे बड़ी शक्ति उसकी शैक्षिक विवेकशीलता छीन ली जाती है।
शिक्षक जो कभी ज्ञान के सह-निर्माता होते थे, अब निर्देशों के पालनकर्ता बनकर रह जाते हैं। यह परिवर्तन केवल उनके पेशेवर आत्मविश्वास को नहीं तोड़ता, बल्कि बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को भी सीमित कर देता है। जब हर शिक्षक एक ही तरह से पढ़ाने को बाध्य होता है तो बच्चों की विविधता, उनकी गति और रुचियों की उपेक्षा होना स्वाभाविक है। सीखना एक जीवंत और लचीली प्रक्रिया है पर जब उसे आंकड़ों और प्रारूपों में बाँधा जाता है तो वह निर्जीव हो जाती है। बच्चे रटने लगते हैं लेकिन समझने की क्षमता घटती जाती है। वे परीक्षा पास कर सकते हैं पर अनुभव से नहीं जुड़ पाते।
शिक्षाशास्त्र का मूल उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं बल्कि सोचने और प्रश्न करने की क्षमता विकसित करना है लेकिन जब शिक्षक की स्वायत्तता सीमित कर दी जाती है तो शिक्षा रचनात्मक प्रक्रिया से प्रशासनिक प्रक्रिया में बदल जाती है। शिक्षक का समय और ऊर्जा उन कार्यों में लग जाती है जिनका सीखने से सीधा संबंध नहीं होता। यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम शिक्षा को इंसानों के लिए बना रहे हैं या केवल रिपोर्टों के लिए? जब तक शिक्षक को निर्णय लेने और अपनी शिक्षण रणनीति बनाने की स्वतंत्रता नहीं दी जाएगी तब तक बच्चे भी अपने भीतर के प्रश्नों को लेकर मौन रहेंगे। शिक्षा को फिर से अर्थपूर्ण और मानवीय बनाने का पहला कदम यही है शिक्षक को उसकी पेशेवर स्वतंत्रता और सम्मान लौटाना। यही वास्तविक सुधार की दिशा है।
Discover more from अमन यात्रा
Subscribe to get the latest posts sent to your email.