साहित्य जगत

मां

यादों के झरोखे से मैंने, जब अपनी मां को देखा। सामने आ गई लम्हों की, समस्त रुप रेखा।। जब घर…

3 years ago

“मेरी भोली-भाली माँ”

मेरी माँ, जो सेल्फी नहीं समझती, माँ जो बातचीत करते-करते खाना बनाती है। पता नहीं कहाँ से इतना अच्छा मापतौल…

3 years ago

“उमंगों की उड़ान (लघुकथा)”

जानकी गोपाल की परवरिश को लेकर बहुत चिंतित थी। बहुत सारी समस्याओं से घिरे होने के कारण वह हर समय…

3 years ago

मेहनतकश मजदूर की तस्वीर”

मजदूर की तस्वीर होती मेहनत और हौसलों की उड़ान से भरी। वैसे तो हर व्यक्ति की आवश्यकताओं की है अपनी-अपनी…

3 years ago

।। किताबों में मेरा दिल हैं बसा और मुझमें समाया एक अंश इनका ।।

।। किताबों में मेरा दिल हैं बसा और मुझमें समाया एक अंश इनका ।। # एक लेखक, एक साहित्यकार या…

3 years ago

वृद्धि हो ऐसी जो करे विकास

वर्तमान में जारी बहस- वृद्धि बनाम विकास। असहमति यह है कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए कौन सा मॉडल सटीक…

3 years ago

।। सरगम के सात सुर और मेरी घुंघरू की रुनझुन ।।

।। सरगम के सात सुर और मेरी घुंघरू की रुनझुन ।। सरगम के सात सुर सजते हैं जब जब, मेरे…

3 years ago

नैतिकता का ठेका

नैतिकता फेमिनिस्ट्स की तरह लिंगभेद नहीं करती वो स्त्री व पुरुष दोनों के लिए एक समान आवश्यक और जन्म से…

3 years ago

“भक्ति की शक्ति का प्रभाव”

कहते है ईश्वर प्रत्येक आडंबर से दूर केवल भक्त के अधीन होते है। यही भगवान जब भक्त किसी विकट परिस्थिति…

3 years ago

।।जायज बनाम नाजायज संबंध ।।

।।जायज बनाम नाजायज संबंध ।। # दौर बदले,ढंग बदले जीवन जीने की शैली भी बदली। कहां,हम एक मानसिक रूप से …

3 years ago

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