विद्यालय को निपुण बनाने की कार्ययोजना पर तेजी से कार्य करें शिक्षक- बीएसए
जिले के परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से कक्षा तीन तक के विद्यार्थियों को गणित, भाषा में निपुण बनाने का लक्ष्य रखा गया है। समस्त स्कूलों के प्रधानाध्यापक अब स्वयं ही अपने स्कूल के निपुण बच्चों की छटनी करेंगे जो बच्चे अभी निपुण लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए हैं उन्हें निपुण बनाने के लिए समस्त स्टाफ को भरसक प्रयास करना होगा।

राजेश कटियार, कानपुर देहात। जिले के परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से कक्षा तीन तक के विद्यार्थियों को गणित, भाषा में निपुण बनाने का लक्ष्य रखा गया है। समस्त स्कूलों के प्रधानाध्यापक अब स्वयं ही अपने स्कूल के निपुण बच्चों की छटनी करेंगे जो बच्चे अभी निपुण लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए हैं उन्हें निपुण बनाने के लिए समस्त स्टाफ को भरसक प्रयास करना होगा।
बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय ने समस्त खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह अपने अपने विकासखंड के विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को निर्देशित करें कि वे स्वयं ही अपने विद्यालय के निपुण विद्यार्थियों का मूल्यांकन कर निर्धारित प्रारूप पर सूचना उपलब्ध कराएं। प्रारूप में शिक्षकों को कक्षा 1 से 3 तक के कुल नामांकित छात्रों की संख्या कक्षाबार लिखनी होगी साथ ही यह भी दर्शन होगा कि किस क्लास में कितने बच्चे अभी निपुण लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हैं। यह सूचना 7 फरवरी तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
बताते चलें निपुण भारत अभियान के तहत आगामी पांच वर्षों 2026-27 तक कक्षा तीसरी के प्रत्येक बच्चे को आधारभूत शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निपुण भारत अभियान का प्रमुख उद्देश्य खेल-खोज और गतिविधि पर आधारित स्वतंत्र समझ के साथ बच्चों को पढ़ने-लिखने में प्रेरित करना और लिखने-पढ़ने के स्थायी कौशल योग्य बनाना। बच्चों को संख्या माप और आकार के क्षेत्र को तर्क के साथ समझने, उन्हें गणना और समस्या के समाधान में स्वतंत्र बनाना है। बच्चों को मातृ भाषा में शिक्षण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
शिक्षकों प्रधानाध्यापकों और शिक्षा प्रशासकों का क्षमता निर्माण करना। आजीवन सीखने की एक मजबूत नींव बनाना। पोर्टफोलियो समूह और मिल-जुलकर किए गए कार्य, प्रश्नोत्तरी, रोल-प्ले, खेल मौखिक प्रस्तुतीकरण छोटे टेस्ट आदि के माध्यम से सीखना आदि है। निपुण भारत मिशन में आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता तक सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना है ताकि 2026-27 तक प्रत्येक बच्चा कक्षा-तीन तक पढ़ने-लिखने और गणित में वांछित सीखने की क्षमता प्राप्त कर सकें और आधारभूत शिक्षा के लिए सीखने के परिणामों के विकास लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
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