
फूलों की महक है कलियों पे निखार है।
हर तरफ बसंत की बहार है
खेतों में पीली पीली सरसों की बालियां।
फूलों से सजी हैं पेड़ों की डालियां।
कुदरत का यही तो श्रंगार है
हर तरफ बसंत की बहार है।
फूलों की महक है……
आ जाओ मेरे मन के मीत
आज सुनाएंगे तुमको गीत।
कोयल की यही पुकार है
हर तरफ बसंत की बहार है।
फूलों की महक है…..
कितने ढंग से सजाया है सब कुछ।
जिसने भी ये बनाया है सब कुछ।
कोई तो वो चित्रकार है
हर तरफ बसंत की बहार है।
फूलों की महक है कलियों पे निखार है।
गीतकार अनिल दोहरे
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