उत्तरप्रदेशऔरैया
शहीद का शव गांव आते ही सभी की आँखे हुई नम
गांव की जिन गलियों में कभी वह देश सेवा का जज्बा लिए घूमता था, उन्हीं गलियों से जब फौजी का शव गुजरा तो जैसे पूरा गांव ही सिसक उठा।

औरैया,अमन यात्रा। गांव की जिन गलियों में कभी वह देश सेवा का जज्बा लिए घूमता था, उन्हीं गलियों से जब फौजी का शव गुजरा तो जैसे पूरा गांव ही सिसक उठा। शव लेकर पहुंचे सिक्ख रेजीमेंट के जवानों ने शव के ऊपर से तिरंगा हटाया तो आसपास मौजूद हजारों ग्रामीण भारत माता की जय के नारे लगा उठे। लोगों का कलेजा उस वक्त मुंह को आ गया, जब 10 साल का आदित्य फौजी पिता को मुखाग्नि देने पहुंचा। अंतिम यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। फफूंँद के गांव मुढी निवासी 38 वर्षीय अनुभव त्रिपाठी पुत्र स्व उमाकांत त्रिपाठी मथुरा रेजीमेंट में लांस हवलदार के पद पर तैनात था। अभी उसकी तैनाती लद्दाख में थी। बीती 7 जुलाई दिन बुधवार को ड्यूटी के दौरान अचानक बर्फ में पर पैर फिसल जाने से वह घायल हो गया था। साथी जवानों ने कमांड हास्पिटल में भर्ती कराया गया। 11 जुलाई दिन रविवार को उपचार के दौरान फौजी अनुभव ने अंतिम सांस ली।
मथुरा रेजीमेंट के जवान तिरंगे में लिपटा उसका शव लेकर गांव पहुंचे। तो सभी की आँखे नम थी।अनुभव अंतिम बार बीती 9 फरवरी को अपनी बहन की शादी में शामिल होकर अपनी माँ शांति देवी का आशीष लेकर जल्द लौटने की बात कहकर गया था। किसी को क्या पता था कि देश सेवा को जा रहा बेटा अब जिंदा वापस नहीं लौटेगा। मृत फौजी की पत्नी आरती, पुत्र आदित्य और भाई अतुल, बहन ज्योति व मीनाक्षी का रो-रो कर बुरा हाल था। गुरुवार की सुबह गांव में ही सेना के सम्मान के साथ फौजी का अंतिम संस्कार किया गया। उसके 10 साल के पुत्र आदित्य ने मुखाग्नि दी तो मौजूद हर सख्स की आंखें नम हो आई। डीएम प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव, एसपी चारु निगम ने भी गांव पहुंचकर शहीद को श्रद्धांजलि एवं अंतिम सलामी दी। इसके अलावा एसडीएम मनोज कुमार, तहसीलदार पवन कुमार, सीओ अजीतमल प्रदीप कुमार के साथ आर्मी के जवान व जन प्रतिनिधिय मौजूद रहे।
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