मध्यप्रदेश

चौथे राम का दर्शन व मुक्ति मोक्ष का रास्ता बताऊंगा जिससे आपका आवागमन हो जाएगा खत्म : सन्त उमाकान्त जी

घर से आदमी निकले, दो घंटे बाद कोई गारंटी नहीं है कि ठीक-ठाक घर पर वापस आ जाएगा क्योंकि कलयुग का असर है।

Story Highlights
  • इस समय जिंदगी का कोई भरोसा नही इसलिए नाम दान दे देता हूं, आपकी आंख बंद हो गई तो अगला जन्म मनुष्य शरीर मिल जाएगा
मध्यप्रदेश,अमन यात्रा : इस कलयुग में सबसे ज्यादा जीवों को नामदान देकर पार कराने वाले निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, उनकी पूरी दया और ताकत से अब जीवों के उद्धार हेतु नामदान देने के लिए मौजूदा एकमात्र अधिकारी, इस समय के जीते-जागते, धरती पर चलते-फिरते, मनुष्य शरीर में मौजूद वक़्त के पूरे समर्थ अंतरयामी त्रिकालदर्शी दुःखहर्ता उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 10 जून 2022 को दुर्ग छत्तीसगढ़ स्थित आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गुरु के आदेश से नामदान देता हूँ। मैं जहां भी जाता हूं सब जगह नामदान देता हूं। 15-16 देशों में गया, वहां भी दिया क्योंकि इस वक्त पर जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है। कब किसकी आंख बंद हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। घर से आदमी निकले, दो घंटे बाद कोई गारंटी नहीं है कि ठीक-ठाक घर पर वापस आ जाएगा क्योंकि कलयुग का असर है।
अकाल मृत्यु जग माही व्यापै, प्रजा बहुत मरै
अकाल मृत्यु बहुत हो रही है तो नाम दान देना जरूरी है। नाम दान देने की हिम्मत नहीं हो रही थी, (गुरु का) आदेश हुआ कि नामदान इनको दे दोगे, भजन नहीं भी पूरा हुआ तो इनको मनुष्य शरीर मिल जाएगा। ये मनुष्य शरीर पाना ही बड़ा मुश्किल है।
42 प्रकार के नर्कों में लाखों वर्षों तक मिलती है सजा
जब कर्म खराब हो जाते हैं तो बहुत समय तक चौरासी में, नरकों में रहना पड़ता है। कीड़ा, मकोड़ा आदि चौरासी लाख योनियां हैं। 42 प्रकार के नर्कों में लाखों-लाख वर्ष रहना पड़ता है। मनुष्य शरीर पाना बड़ा मुश्किल है इसलिए नाम दान देना शुरू कर दिया।
नए लोग जो नामदान लेकर साधना करते हैं, उन पर उस मालिक की भारी कृपा दया हो रही है
गुरु महाराज कहा करते थे, अपने को हमेशा नया समझो। जब पुराना समझने लगते हो सतसंगियों तो अहंकार आ जाता है। बाद वालों को आप छोटा समझने लगते हो। आपको नहीं मालूम है, ये छोटे नहीं है, यह काम में लग जा रहे हैं और साधना करते हैं, इनकी (अंतर में) चढ़ाई होने लगती है। पुराने तो इतनी साधना की बात नहीं बताते जितना यह बताते और पूछते हैं। इन पर उस मालिक की भारी कृपा दया हो रही है।
आपको नाम बताऊंगा। जिसके लिए गोस्वामी जी ने कहा-
नाम लेत भव सिंधु सुखाही।
सुजन विचार करो मन माही।।
कौन सा ऐसा नाम है जिसे लेते ही भवसागर सूख जाए, भवकूप ही छूट जाएगा, संसार से मुक्ति मिल जाएगी, इसमें फिर न फंसना पड़ेगा, नहीं आना पड़ेगा तो कहा-
राम न सकहि नाम गुण गाई।
कहां लगि करु मैं नाम बडाई।।
गोस्वामी जी ने कहा राम भी उस नाम की व्याख्या, महिमा का वर्णन नहीं कर सकते हैं। गोस्वामी जी ने घट रामायण में जो नाम की व्याख्या किया, जो लिखा समझो अंदर में, मानस में जो राम का चरित हो रहा है वह रामचरितमानस उन्होंने लिखा। उत्तरकांड में आध्यात्मिक बातें सब लिखी हुई हैं।
उदर माझ सुनु अंडज राया।
देखउँ बहु ब्रह्मांड निकाया।।
यह सब चीजें जो उन्होंने लिखी, अंदर में हैं।
एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में लेटा।
एक राम का सकल पसारा, एक राम सब जग से न्यारा।।
जो सब जग से न्यारा है, उस राम का नाम क्या है? उन्होंने बताया कि उस नाम से उसको पुकारोगे, याद करोगे तब भवसागर तर जाओगे, कोई दिक्कत नहीं आएगी, आवागमन आपका छूट जाएगा। अब वो नाम मिलेगा कहां? आगे लिखा-
नाम रहा संतन आधीना।
सन्त बिना कोई नाम चीन्हा।।
बगैर सन्तों के नाम की पहचान नहीं होती है।
गोस्वामी जी और अन्य सन्तों ने जो नाम बताया वही नाम मैं भी बता रहा हूं
गुरु महाराज हमारे पूरे सन्त थे, नाम दान देते थे। गुरु का नाचीज शिष्य भक्त मैं हूं। मुझको आदेश हुआ, नाम दान दे रहा हूं। वही नाम बताऊंगा जिस नाम को गोस्वामी जी ने कहा, अन्य सन्त जो आए उन्होंने बताया। कबीर साहब ने कहा-
गुरु घट में घर दिखलावै।
पंच शब्द सुनावें।।
यह जो पांच नाम है, यह ध्वन्यात्मक नाम है। यह मुंह से लेने वाला नहीं है।
शब्द किसको कहते है
आवाज को। इन नामों की आवाज आती है- बाहरी कानों में नहीं, अंदर के कान में। आप कहोगे जब हमेशा आती है तो सुनाई क्यों नहीं पड़ती है।
अंदर के कान में कर्मों की मैल जमा होने से ऊपर की आवाज सुनाई नहीं देती
जैसे आपके कान में मैल आ जाए तो बाहर की आवाज सुनाई नहीं पड़ती। मैल साफ कर दो, सुनाई पड़ने लग जायेगी। ऐसे अंदर के कान में कर्मों की मैल आ गई। जब वह मैल साफ हो जाएगी तो वह (शब्द) सुनाई पड़ने लग जाएगा। (इसका उपाय वक्त के गुरु ही बताते हैं और हर कदम पर मददगार होते हैं)
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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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