परिषदीय स्कूलों में बुधवार को मनाया गया मीना का जन्मदिवस
मीना दिवस हर साल 24 सितंबर को परिषदीय स्कूलों में मनाया जाता है।

राजेश कटियार, कानपुर देहात। मीना दिवस हर साल 24 सितंबर को परिषदीय स्कूलों में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लडकियों की शिक्षा, उनके अधिकारों और समाज में उनकी समान भागीदारी के लिए जागरूकता बढाना है। आज भी हमारे समाज में कई जगहों पर लडकियों को लडकों की तरह समान अवसर और अधिकार नहीं मिल पाते हैं।
मीना इस असमानता के खिलाफ आवाज उठाती है और हमें याद दिलाती है कि हर लड़की को शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान का अधिकार है। मीना एक कार्टून कैरेक्टर है जिसे यूनिसेफ ने बनाया था। यह एक बहादुर, होशियार और दयालु लड़की है जो निडर और बहादुर है तथा समाज में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करती है। मीना की कहानी हमें सिखाती है कि हर बच्चा, चाहे वह लड़की हो या लड़का, अपनी मेहनत और लगन से कुछ भी कर सकता है। लड़कियाँ भी पढ़-लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर और पायलट बन सकती हैं।
वे अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं और समाज को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं। मीना दिवस के दिन, लोग मीना को याद करते हैं और लडकियों के अधिकारों के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लेते हैं। हमारे समाज की हर लड़की को समान अवसर मिलें और यह एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सके।
सभी लें संकल्प-
हर लड़की को स्कूल भेजें, शिक्षा ही वह सबसे महत्वपूर्ण हथियार है जो लड़कियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बना सकता है। बेटियों को सपने देखने दें अपनी बेटियों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें बताएं कि वे डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर या जो चाहें बन सकती हैं। घर और समाज में समान अधिकार दें, अपनी बेटियों को घर के कामों तक ही सीमित न रखें। उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करें और उन्हें अपनी बात कहने का मौका दें।
बेटियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करें, अपनी बेटियों को एक ऐसा वातावरण दें जहाँ वे बिना किसी डर के रह सकें और अपनी पूरी क्षमता से विकास कर सकें।
यह अपील सिर्फ एक दिन के लिए नहीं है बल्कि एक जीवन भर की जिम्मेदारी है। आइए हम सब मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ हर लड़की को समान अवसर और सम्मान मिले और वह अपनी पूरी क्षमता से विकास कर सके।
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