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स्कूल में छात्र उपस्थिति बढ़ाने के लिए शिक्षिका की बेहतरीन पहल

बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति सुधारने को लेकर शिक्षा विभाग ने शिक्षकों और हेडमास्टरों की जिम्मेदारी तय कर दी है। बच्चों को उनकी कक्षा के अनुरूप ज्ञान व कौशल हासिल हो, इसी मकसद से यह निर्णय लिया गया है। इसके तहत अगर स्कूल में लगातार तीन दिनों तक बच्चा नहीं आए तो उस बच्चे के घर पर दोस्तों को भेजा जाएगा। हेडमास्टर यह जानेंगे कि बच्च स्कूल क्यों नहीं आया।

Story Highlights
  • अनुपस्थित बच्चों के घर स्वयं बुलाने जाती है शिक्षिका

अमन यात्रा, कानपुर देहात। बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति सुधारने को लेकर शिक्षा विभाग ने शिक्षकों और हेडमास्टरों की जिम्मेदारी तय कर दी है। बच्चों को उनकी कक्षा के अनुरूप ज्ञान व कौशल हासिल हो, इसी मकसद से यह निर्णय लिया गया है। इसके तहत अगर स्कूल में लगातार तीन दिनों तक बच्चा नहीं आए तो उस बच्चे के घर पर दोस्तों को भेजा जाएगा। हेडमास्टर यह जानेंगे कि बच्च स्कूल क्यों नहीं आया। इसके बाद भी बच्चा स्कूल नहीं आया तो उसके दो दिनों बाद शिक्षक बच्चे के घर जाएंगे। अगर बच्चा लगातार 15 दिनों तक स्कूल नहीं आया तो हेडमास्टर उसके घर जाएंगे। जानकारी लेंगे कि उसके साथ क्या समस्या है। कोई समस्या है तो उसे दूर कराएंगे और सुनिश्चित करेंगे बच्चा नियमित स्कूल आना शुरू करे। इस आदेश का असर अभी भले ही धरातल पर ना दिख रहा हो किंतु सरवनखेड़ा विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय घनारामपुर में कार्यरत सहायक शिक्षिका दीप्ति कुशवाहा इस आदि का भली-भांति पालन कर रही हैं। उनके विद्यालय में जैसे ही छात्रों की उपस्थिति कम होती है वह तुरंत उनके अभिभावकों से संपर्क करने उनके घर पहुंच जाती हैं उनके इस कार्य में एसएमसी सदस्य भूरालाल दिवाकर उनका पूरा सहयोग करते हैं। यह कार्य उनके रूटीन में है जो बच्चे लगातार चार दिन तक विद्यालय नहीं आते वे तुरंत ही उनके अभिभावकों से संपर्क स्थापित करती हैं और आवश्यकता पड़ने पर उनके घर पहुंच विद्यार्थी के बारे में जानकारी लेती हैं। बच्चों की उपस्थिति बढ़ाना एवं उन्हें पढ़ाना उनका मकसद है।

हो रही मॉनिटरिंग-

बच्चे नियमित रूप से स्कूल आएं इसे लेकर शिक्षक और हेडमास्टर से लेकर विद्यालय प्रबंध समिति तक की जिम्मेदारी तय की गई है। मुख्यालय स्तर से मॉनिटरिंग भी की जा रही है।

सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए राज्य व केंद्र सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। बच्चों में सरकारी स्कूलों के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए सरकार ने कई लोकलुभावन योजनाएं भी चलाई हुई हैं। इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या कम ही रहती है।

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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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