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सरकारी स्कूलों को गोद लेने में पिछड़ा अपना जनपद

यूपी में सरकारी स्कूलों की सूरत-ए-हाल बदलने के लिए सिर्फ कागजों में ही आंकड़े दौड़ रहे हैं।परिषदीय स्कूलों को गोद लेने का अभियान सफल साबित होता नहीं दिख रहा है। परिषदीय स्कूलों की तस्वीर बदलने के लिए संकल्प लेने वाले जिम्मेदारों की कमी दिखाई पड़ रही है।

Story Highlights
  • जनप्रतिनिधि नहीं कर रहे सकारात्मक प्रयास
कानपुर देहात,अमन यात्रा : यूपी में सरकारी स्कूलों की सूरत-ए-हाल बदलने के लिए सिर्फ कागजों में ही आंकड़े दौड़ रहे हैं।परिषदीय स्कूलों को गोद लेने का अभियान सफल साबित होता नहीं दिख रहा है। परिषदीय स्कूलों की तस्वीर बदलने के लिए संकल्प लेने वाले जिम्मेदारों की कमी दिखाई पड़ रही है। स्कूलों को गोद लेने के लिए शासन के द्वारा अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, स्वंयसेवी संस्थाओं से अपील की गई थी। हालांकि यह अपील कई जिलों में कारगर साबित नहीं हो रही है। इस मुहिम के लिए कई बड़े शहरों का दिल छोटा पड़ गया है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो सिर्फ 16 जनपदों में ही सकारात्मक प्रयास दिखाई दे रहे हैं जिन्होंने 100 का आंकड़ा पार किया है लेकिन तस्वीर बदलने का संकल्प लेने जिम्मेदार भी आगे नहीं आ रहे हैं।
अब तक बांदा में सर्वाधिक 199 स्कूलों को गोद लिया गया है। कानपुर व बरेली महानगर भी सरकारी स्कूलों को गोद लेने में आगे हैं। कानपुर देहात में 32 जनप्रतिनिधियों ने 38 स्कूलों को गोद लिया है जबकि 41 जिला स्तरीय अधिकारियों ने 41 स्कूलों को गोद लिया है। लखनऊ में 35 और गोरखपुर में दस से भी कम स्कूल गोद लिए गए हैं, ये जिले फिसड्डी हो गए हैं। वहीं शामली सबसे पीछे है। वहां अब तक सिर्फ दो स्कूल गोद लिए गए हैं। कुल 75 में 16 जिले ही ऐसे हैं जहां सौ या इससे अधिक स्कूलों को गोद लिया गया है।
शासन स्तर से हुई थी अपील-
शासन स्तर से लगातार समीक्षा करके इस ओर प्रयास के लिए कहा जा रहा है। इसी महीने की शुरुआत में हुई प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की समीक्षा में सामने आया था कि प्रदेश में मात्र 2223 परिषदीय विद्यालयों को ही राजपत्रित अधिकारियों द्वारा गोद लिया गया है। इसके बाद शासन ने इस दिशा में और प्रयास करने और अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों, प्राइवेट संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं को विद्यालय गोद लेने के लिए प्रेरित करने को कहा था। इसमें भी कुछ जिले आगे बढ़कर आए हैं।
वर्तमान में कानपुर मंडल की स्थिति –
कानपुर- 188
फर्रुखाबाद- 147
इटावा- 108
औरैया- 100
कानपुर देहात-79
कन्नौज- 65
50 से कम स्कूल गोद लिए जाने वाले जनपद-
गोंडा-11, प्रयागराज व एटा-14-14, अलीगढ़ व बलिया में 12-12, हापुड़ व हरदोई और बुलंदशहर में 19-19, सीतापुर-20, रामपुर-25, अंबेडकरनगर- 29, बहराइच-30, लखीमपुर खीरी-31, श्रावस्ती व बागपत में 32-32, लखनऊ-35, महोबा व अमेठी में 37-37, झांसी-39, सोनभद्र-47, चित्रकूट-48
100 से कम स्कूल गोद लिए जाने वाले जनपद-
कौशांबी-49, फतेहपुर-50, कुशीनगर-51, अयोध्या-52, उन्नाव-53, सहारनपुर व गौतमबुद्धनगर में 53-53, संतकबीरनगर व देवरिया में 59-59, जालौन-60, कानपुर देहात-79, कन्नौज-65, कासगंज व आजमगढ़ में 67-67, अमरोहा-69, वाराणसी व गाजियाबाद में 72-72, ललितपुर-74, मेरठ-75, आगरा-77, गाजीपुर-78, चंदौली-81, संभल व मुरादाबाद में 82-82, बस्ती-85, बिजनौर-88, बलरामपुर-89, भदोही-94, सिद्धार्थनगर-95, सुल्तानपुर- 98, हाथरस-99
इन जिलों ने बढ़ाए कदम-
औरैया व मऊ में 100-100, मीरजापुर-101, पीलीभीत-103, इटावा-108, बाराबंकी-113, हमीरपुर व बदायूं में 114-114, बरेली-122, मथुरा-126, मैनपुरी-146, फर्रुखाबाद-147, शाहजहांपुर-150, जौनपुर-181, कानपुर-188, बांदा-199
इन जिलों की हालत है सबसे बुरी-
शामली-2, मुजफ्फरनगर व रायबरेली में 6-6, प्रतापगढ़ व गोरखपुर में 7-7, महाराजगंज-8, फिरोजाबाद-9
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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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