कविता

सुबह-सवेरा

ताज़ी महकी हुई, चली हवा दिनकर भी फिर निकल पड़ा किरणों संग चिड़ियां चहकी पुष्प हँसे और धरती महकी

 

ताज़ी महकी हुई, चली हवा
दिनकर भी फिर निकल पड़ा
किरणों संग चिड़ियां चहकी
पुष्प हँसे और धरती महकी


आसमान सज गया लाली से
धरती सजी रंगीन कलियों से
ये तो दृश्य हुआ अति मनोरम
जैसे कि हो कोई,सुन्दर संगम


ओस की नन्ही-नन्ही बूंदे पायी
मृदु -शीतल सा अनुभव लायी
लगा यह सब, और भी सुहाना
गाया कोयल ने जब मृदु गाना


सबके भीतर, अत्यंत योग्यता
अति सुन्दर प्राकृतिक सौम्यता
पक्षी चहकते उड़े, छोड़ बसेरा
मन भावन होता सुबह- सवेरा

मीनाक्षी शर्मा ” मनुश्री ‘
गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

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