‘हिंदी में सबको समेटने का अद्भुत गुण’: एनएसआई कानपुर की निदेशक प्रो. परोहा ने राजभाषा पखवाड़ा के समापन पर कही बड़ी बात
हिंदी निबंध, टिप्पण आलेखन और संभाषण प्रतियोगिताओं में कर्मचारियों-विद्यार्थियों ने दिखाया उत्साह।

- समापन समारोह में विदाई और कवि सम्मेलन का भी आयोजन।
- संस्थान की निदेशक ने हिंदी के बढ़ते वैश्विक महत्व को बताया गर्व का विषय।
- हिंदी के प्रचार-प्रसार पर विजेताओं को मिले 70 से अधिक नकद पुरस्कार
कानपुर। राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के तहत राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (NSI), कानपुर में 14 सितंबर से 29 सितंबर 2025 तक राजभाषा पखवाड़े का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस पखवाड़े के दौरान संस्थान के विद्यार्थियों, कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें प्रतिभागियों का उत्साह देखने लायक था।
आयोजित प्रतियोगिताओं में हिंदी निबंध लेखन, संभाषण, हिंदी टंकण, टिप्पण एवं आलेखन तथा चित्र आधारित लेखन शामिल थीं। प्रत्येक विधा में प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा दो सांत्वना पुरस्कार सहित कुल सात पुरस्कार दिए गए। इस प्रकार प्रतियोगिताओं के लिए 49 नकद पुरस्कार वितरित किए गए। इसके अतिरिक्त, वर्ष भर हिंदी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को 20 अन्य श्रेणियों में भी नकद पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
पखवाड़े में शामिल सभी 150 से अधिक प्रतिभागियों को प्रोत्साहन स्वरूप उपहार, नकद राशि और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।
विभिन्न विधाओं के प्रथम विजेता
सभी विधाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों की सूची इस प्रकार है:
राजभाषा पखवाड़ा के समापन समारोह में खचाखच भरे सेमिनार हॉल को देखकर संस्थान की निदेशक, प्रो. सीमा परोहा ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में हिंदी का वैश्विक स्तर पर मान बढ़ा है, उससे अब यह लगने लगा है कि विदेशों में भी हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने हिंदी को ‘देवभाषा संस्कृत की सगी बहन’ बताते हुए कहा कि इसमें सबको समेटकर ले चलने का अद्भुत गुण है, जो इसे खास बनाता है।
समापन समारोह में सहायक आचार्य शर्करा शिल्प अशोक कुमार गर्ग का विदाई समारोह भी आयोजित किया गया। इसके बाद एक कवि सम्मेलन हुआ, जिसमें आमंत्रित कवियों डॉ. अरुण तिवारी और कृष्णकांत अग्निहोत्री ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन मल्लिका द्विवेदी ने किया, जबकि आयोजन में दया शंकर मिश्र और उमेश चंद्र पांडेय का विशेष सहयोग रहा।
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