फतेहपुरउत्तरप्रदेश
खेत जाने के डर से किसान ने लगाई फांसी
हथगाम थाना क्षेत्र के कसेरुवा गांव में एक दलित किसान ने गांव से बाहर पेड़ की डाल पर फांसी लगाकर जान दे दी।किसान वर्षों से तालाबी नंबर पर फसल उगा कर पेट पाल रहा था लेकिन शासन के कड़े निर्देशों के तहत तहसील प्रशासन ने खेत से मिट्टी निकालना शुरू कर दिया।
खागा/फतेहपुर। हथगाम थाना क्षेत्र के कसेरुवा गांव में एक दलित किसान ने गांव से बाहर पेड़ की डाल पर फांसी लगाकर जान दे दी।किसान वर्षों से तालाबी नंबर पर फसल उगा कर पेट पाल रहा था लेकिन शासन के कड़े निर्देशों के तहत तहसील प्रशासन ने खेत से मिट्टी निकालना शुरू कर दिया।बताया जाता है कि खेत जाने के डर से वह इतना दुखी हुआ और यह भी बताया जा रहा है कि गांव के कुछ लोगों ने उसे उकसाया भी जिसके कारण उसने जीवन लीला समाप्त कर ली। जानकारी के अनुसार उक्त गांव के 63 वर्षीय छेद्दू पासवान पिता बसंत लाल ने घर से बाहर पेड़ की डाल पर फंदा डालकर फांसी लगा ली।घटना की सूचना मिलते ही प्रभारी निरीक्षक अश्वनी कुमार सिंह के नेतृत्व में भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा। पुलिस के पहुंचने के बाद शव को नीचे उतारा गया।किसान ने जिस जगह फांसी लगाई थी,उसके पैर के नीचे साइकिल भी थी।वह गांव से साइकिल लेकर जंगल गया था जहां उसने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।जैसे ही लोगों को जानकारी हुई,आसपास के लोग एकत्र होने लगे और देखते-देखते भारी भीड़ मौके पर एकत्र हो गई। पुलिस ने शेष कार्रवाई करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
बताया जाता है कि किसान लंबे समय से तालाबी नंबर खेत में फसल उगा कर परिवार का पेट पाल रहा था।लगभग एक पखवाड़े पूर्व तहसील प्रशासन की ओर से लेखपाल ने जमीन से मिट्टी निकलवाना शुरू कर दिया। इसमें और किसान भी शामिल थे जिनके खेत से मिट्टी निकाली गई।किसान प्रधान प्रतिनिधि के पास गया और उसने दुखड़ा रोया।बताया जाता है कि किसान ने खेत जाने के भय से पहले भी आत्महत्या कर लेने की बात गांव में कही थी।इसी को आधार बनाकर कुछ लोगों ने यह कहकर उकसाना शुरू कर दिया कि अब तो खेत जा रहा है,अब क्यों फांसी नहीं लगा लेते हो।यह बात किसान के मन में घर कर गई और उसने रोजी रोटी के लिए जो चंद खेत उसके पास थे उसके भी चले जाने के भारी दुख से आहत होकर आत्महत्या कर ली।