उत्तरप्रदेशकानपुर देहातफ्रेश न्यूजलखनऊ

एरियर के कारण कट रहे इनकम टैक्स को कैसे बचाएं

एरियर के कारण कट रहे इनकम टैक्स को कैसे बचाएं यह टैक्सपेयर के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। आइए इस संदर्भ में आपको विस्तृत जानकारी देते हैं। अगर आपको इस वर्ष नियमित वेतन आय के साथ बकाया (एरियर) के रूप में पिछले वर्षों का वेतन भी प्राप्त हुआ हो तो आपको टैक्स के रूप में बहुत बड़ी रकम चुकानी पड़ सकती है।

लखनऊ/ कानपुर देहात। एरियर के कारण कट रहे इनकम टैक्स को कैसे बचाएं यह टैक्सपेयर के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। आइए इस संदर्भ में आपको विस्तृत जानकारी देते हैं। अगर आपको इस वर्ष नियमित वेतन आय के साथ बकाया (एरियर) के रूप में पिछले वर्षों का वेतन भी प्राप्त हुआ हो तो आपको टैक्स के रूप में बहुत बड़ी रकम चुकानी पड़ सकती है। यह पैसा सेलरी खाते में टैक्सेबल है पर चूंकि शिक्षकों को इसके बारे में पता नहीं था इसलिए उनको कुछ राहत मिल सकती है। इसके लिए इनकम टैक्स की धारा 89(1) का फायदा मिल सकता है। पर ये सेक्सन बहुत ही जटिल है। इसमें सीधे-सीधे कोई हिसाब लगाना मुश्किल है। फिर भी बचत का रास्ता निकल आता है।शिक्षकों को जो एरियर एकमुश्त मिल रहा है वो उनकी आय को एकदम से बढ़ा देगा। इस वजह से टैक्स की देयता बहुत बढ़ जाती है। पर इसमें शिक्षकों की कोई गलती नहीं है। दरअसल ये वो पैसा है जो सरकार को बहुत पहले दे देना चाहिए था। मगर इसका भुगतान अब एक साथ किया जा रहा है इसीलिए कानून में इससे बचने के लिए कुछ इंतजाम भी किए गए हैं। एरियर को किस वर्ष की आय माना जाएगा ? क्या इसे इसी वर्ष की आय मानकर कर निर्धारण होगा या जिस वर्ष के लिए मिला है उसी वर्ष की आय मानकर लागू किया जाएगा ? ऐसे प्रश्नों के जवाब यह है कि मिलने वाले एरियर को इसी वर्ष की आय मानकर कर निर्धारण किया जाएगा। चूंकि एरियर मिलने का समय तय नहीं होता है इसलिए उसे उसी समय की आय माना जाता है जिस समय वह कर्मचारी को मिलता है।

सेक्शन 89 (1) के तहत शिक्षक कर के बोझ को कम कर सकते हैं। सवाल यह है कि कैसे किया जाएगा कर निर्धारण और कैसे लागू किया जाएगा धारा 89 (1) को। बताते चले कि इसके तहत टैक्स को दो हिस्सों में तय किया जाता है। पहला टैक्स निर्धारण आपकी आय और होने वाली अतिरिक्त आय को जोड़कर किया जाता है। दूसरे हिस्से को तय करने के लिए कुल आय में एरियर को जोड़ा जाता है। इन दोनों आय के अंतर के बराबर टैक्स में छूट दी जाती है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अगर किसी करदाता की आय में मिलने वाले एरियर के मुताबिक वेतन बढ़ जाता है तो उसे अतिरिक्त टैक्स का भुगतान करना होता है। मान लीजिए छठे वेतन आयोग के मुताबिक वेतन बढ़ने से पहले उसे 10000 रुपए बतौर टैक्स देना होता था और आयोग की सिफारिशों के लागू होने पर 11500 रुपए टैक्स देना पड़ेगा। अब दो साल के एरियर के मुताबिक उसे यह अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़े तो आयकर अधिनियम की धारा 89 (1) के तहत उसे इस अतिरिक्त टैक्स राशि का भुगतान नहीं करना होगा। मान लीजिए शिक्षक पद पर कार्यरत शिक्षक को चालू वित्त वर्ष में बतौर एरियर 2 लाख रुपए मिलते हैं। विभाग ने यह एरियर उसे पिछ्ले वर्ष के बकाया वेतन/भत्तों के तौर पर दिया है। अब मान लीजिए मास्साब को अपने वेतन के मुताबिक 200000 रुपए पर टैक्स का भुगतान करना होता है। मगर मिले हुए इस एरियर के कारण उसकी कर योग्य आय बढ़कर 240000 रुपए हो गई है। इस बड़ी हुई एरियर आय को उनके वास्तविक वर्षों के अनुसार विभाजित करते हुए तत्समय इनकम स्लैब के अनुसार कर की गणना करते हुए इस एरियर को यदि उन वर्षों में समाहित कर लें तो उन वर्षों में बची हुई स्लैब के रकम से कर बचत की जा सकती है।

भरे 10 ई फॉर्म-

आपकी सहूलियत के लिए हमने केवल एक साल के एरियर के मुताबिक गणना समझाई है। हालांकि वास्तविकता में ऐसा हो सकता है कि आपको कई साल का एरियर मिला हो। ऐसी स्थिति में हर साल का अगल-अलग टैक्स निकालकर आप वास्तविक और अतिरिक्त टैक्स राशि पता कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि धारा 89 (1) के तहत मिलने वाली टैक्स छूट के कारण आपकी अंतिम टैक्स राशि भी कम हो जाती है। इसके साथ ही इससे आपके वेतन का टीडीएस भी कम हो जाता है।

Print Friendly, PDF & Email
AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

AD
Back to top button