उत्तरप्रदेशकानपुर देहातफ्रेश न्यूजलखनऊ

परिषदीय शिक्षकों को नहीं मिलते हैं पर्याप्त अवकाश

वर्तमान समय में बेसिक शिक्षा में कई तरह के नये-पुराने तकनीकी-गैरतकनीकी शब्दों के प्रयोग का चलन इतना बढ़ा हुआ है कि शिक्षक चकरघिन्नी बने हुए हैं। इन शब्दों से परिचित होना, उन्हें समझना, आवश्यकतानुसार इनसे सम्बन्धित आदेश-निर्देशों में सामंजस्य बनाते हुए उसका समयबद्ध अनुपालन करना शिक्षकों के लिए अत्यंत ही तनावपूर्ण कार्य होता जा रहा है।

Story Highlights
  • मजबूरन में लेना पड़ता है फर्जी मेडिकल अवकाश

लखनऊ/ कानपुर देहात। वर्तमान समय में बेसिक शिक्षा में कई तरह के नये-पुराने तकनीकी-गैरतकनीकी शब्दों के प्रयोग का चलन इतना बढ़ा हुआ है कि शिक्षक चकरघिन्नी बने हुए हैं। इन शब्दों से परिचित होना, उन्हें समझना, आवश्यकतानुसार इनसे सम्बन्धित आदेश-निर्देशों में सामंजस्य बनाते हुए उसका समयबद्ध अनुपालन करना शिक्षकों के लिए अत्यंत ही तनावपूर्ण कार्य होता जा रहा है। शिक्षकों को दीक्षा ऐप, रीड एलांग ऐप, प्रेरणा डीबीटी ऐप, प्रेरणा ऐप, निपुण लक्ष्य ऐप, समर्थ ऐप, सरल ऐप आदि का अपने निजी मोबाइल में इंस्टाल करना, निजी खर्च से इंटरनेट पैक डलवाना, सभी का यूजर आईडी, पासवर्ड बनाना तथा याद रखना। इन ऐप्स का समुचित प्रयोग भी करना उनकी विवशता बन गया है। यह विवशता अंततः शिक्षकों के तनाव में वृद्धि कर रही है। शिक्षक खुले मन से तनावमुक्त होकर शैक्षिणक कार्य नहीं कर पा रहे हैं। विद्यालय अवकाशों में हुई कटौती भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उद्देश्य पूर्ति में बाधक बनी हुई है।

सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा में गुणवत्ता सुधार हेतु बेसिक शिक्षकों को देय वार्षिक अवकाशों में पूरे वर्ष में कई दिनों की कटौती की है। यहां तक कि वार्षिक अवकाश सूची में कई महापुरुषों की जयंती को अवकाश में गिना तो है परन्तु इन जयंती तिथि को मनाने हेतु शिक्षकों को विद्यालय जाना ही पड़ता है। शिक्षकों को विशेषकर पुरुष शिक्षकों को अवकाश का टोटा पड़ा हुआ है। उन्हें 14 आकस्मिक अवकाश के अतिरिक्त कोई भी अवकाश अलग से देय नहीं है। स्थिति यह है शिक्षकों को शादी सहित विभिन्न जरूरी घरेलू तथा निजी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए येन-केन तरीके से मेडिकल अवकाश तक लेकर अपने निजी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ रहा है। कई शिक्षकों को इस तरह बगैर बीमारी मेडिकल अवकाश लेना अपराध बोध सा लगता है और उनके तनाव में वृद्धि करता है। तनाव इस बात का भी कि भविष्य में वास्तव में लम्बे मेडिकल अवकाश की स्थिति आन पड़े तो कहीं ऐसा न हो कि ये बचे अवकाश कम न पड़ जाएं। विचारणीय है कि बेसिक शिक्षकों की अवकाश कटौती शिक्षा गुणवत्ता सुधार में बाधक बनने का महत्वपूर्ण पहलू है। शिक्षाधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE


Discover more from अमन यात्रा

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Articles

Leave a Reply

AD
Back to top button

Discover more from अमन यात्रा

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading