रमाकान्त त्रिपाठी’रमन’
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कविता
“अनुराग अबतक है”
“अनुराग अबतक है” हो गये तुम दूर पर अनुराग अबतक है। डस रहा मुझको विरह का नाग अबतक है।…
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“अनुराग अबतक है” हो गये तुम दूर पर अनुराग अबतक है। डस रहा मुझको विरह का नाग अबतक है।…
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