बिना मान्यता वाले स्कूलों पर आखिर अधिकारी क्यों किए हैं मेहरबानी
बिना मान्यता वाले विद्यालयों पर कठोर कार्यवाही का शासन भले ही आदेश देती रहती हो लेकिन यह आदेश जनपद में हवा-हवाई साबित हो रहा है। बिना मान्यता के चल रहे विद्यालयों पर अधिकारियों की ओर से प्रभावी कार्यवाही नहीं हो रही है।

कानपुर देहात। बिना मान्यता वाले विद्यालयों पर कठोर कार्यवाही का शासन भले ही आदेश देती रहती हो लेकिन यह आदेश जनपद में हवा-हवाई साबित हो रहा है। बिना मान्यता के चल रहे विद्यालयों पर अधिकारियों की ओर से प्रभावी कार्यवाही नहीं हो रही है। मीडिया को पड़ताल में पता चला है कि जनपद में अभी भी दर्जनों स्कूल बगैर मानक पूरा किए बिना मान्यता के ही बेरोकटोक संचालित हो रहे हैं और जिम्मेदार सो रहे हैं।
सरवन खेड़ा ब्लॉक के गजनेर कस्बे में संचालित शिवाजी किड्स एजुकेशन सेंटर गजनेर में संचालित है जिसकी किसी भी बोर्ड से मान्यता नहीं है लेकिन स्कूल संचालक सीबीएसई बोर्ड का दावा कर अभिभावकों को गुमराह कर रहे हैं साथ ही सीबीएसई बोर्ड लिखा हुआ फर्जी अंक प्रमाणपत्र भी दिया जा रहा है जबकि शिक्षा निदेशक का आदेश है कि यदि कोई व्यक्ति बिना मान्यता लिए या मान्यता समाप्त होने के बाद भी स्कूल चलाता है तो उस पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके साथ ही उल्लंघन जारी रहने पर हर दिन 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
जनपद में दर्जनों प्राइवेट स्कूल बिना मान्यता संचालित हैं। प्रत्येक वर्ष बिना मान्यता वाले स्कूलों पर कार्यवाही करने के निर्देश बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं जिला विद्यालय निरीक्षक को दिए जाते हैं लेकिन सभी बिना मान्यता प्राप्त वाले स्कूलों को नोटिस जारी करके खानापूर्ति करते हैं। गैर मान्यता वाले विद्यालय वैसे ही चलते रहते हैं। कुछ लोग मानक, मान्यता की परवाह किए बिना मकानों, दुकानों से लेकर झोपड़ियों तक में स्कूल चलाने लगते हैं। कम पढ़े लिखे बेरोजगार युवकों को बेहद ही कम पैसों में शिक्षक के रूप में तैनात कर लेते हैं। इतना ही नहीं कोचिंग का रजिस्ट्रेशन करवा कर भी लोग स्कूल चला रहे हैं तो कुछ स्कूल वाले सीबीएसई, आईसीएसई से मान्यता होने का झूठा दावा करते हैं। इस संदर्भ में सरवनखेड़ा खण्ड शिक्षा अधिकारी अजब सिंह का कहना है कि जानकारी नहीं है अगर कोई भी विद्यालय बगैर मान्यता के संचालित हो रहा है तो उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।
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