वाराणसी

चंदौली: राजदरी-देवदरी का प्राकृतिक छटा देख निहाल हुए इतने देशों के विदेशी सैलानी, रुस, पाकिस्तान, चीन…..जब गाइड ने उन भित्तिचित्रों की महत्ता और प्राचीनता बताई तो….

यात्रा लेखकों और ब्लॉगर्स की टीम ने किया राजदरी-देवदरी का दौरा

घुरहूपुर की कंदराओं की ली जानकारी

अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल राइटर कॉन्क्लेव में आए थे सारे लोग

चंदौली। बीते रविवार का दिन काफी ऐतिहासिक रहा। जिले के प्राकृतिक सौंदर्य व प्राचीन बौद्ध स्मृतियों को देखने के लिए दुनिया के 8 देशों के 17 यात्रा लेखकों और ब्लागर्स ने रविवार को चंदौली के विभिन्न पर्यटन स्थलों के साथ साथ घुरहूपुर की कंदराओं का भ्रमण किया। इस दौरान घुरहूपुर के कंदराओं में बने प्राचीन बौद्ध भित्तिचित्र देखकर सभी हैरान हो गए। जब गाइड ने उन भित्तिचित्रों की महत्ता और प्राचीनता बताई तो सबके मुख से अनायास ….ओह मॉय गाड निकल गया। सभी यात्री यहां के सौंदर्य व इन दृश्यों को कैमरे में कैद करके अपने साथ ले गए।

वाराणसी में 9 से 12 दिसंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल राइटर कॉन्क्लेव में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के आठ देशों भारत, चीन, पाकिस्तान, रूस, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान के दो सौ ट्रैवेल राइटर्स और ब्लॉगर्स शामिल हुए हैं। ये लेखक वाराणसी के आसपास के पर्यटन स्थलों के निरीक्षण के क्रम में रविवार को चंदौली के विभिन्न पर्यटन स्थलों की अनुपम छटा को निहारने पहुंचे।

रविवार की दोपहर 17 सदस्यीय यात्रा लेखकों और ब्लॉगर्स की टीम राजदरी-देवदरी जलप्रपात पहुंची। साथ में मौजूद डीएफओ दिनेश सिंह ने बताया कि राजदरी के गुफाओं में बैठकर देवकीनंदन खत्री ने चंद्रकांता और चंद्रकांता संतति दो महान कृतियों की रचना की थी। जिसे पढ़ने के लिए विदेशियों ने हिंदी सीखी थी। इसके बाद विदेशी मेहमानों को घुरहूपुर के पहाड़ियों पर ले जाया गया जहां की कंदराओं में बने बौद्धकालीन भित्तिचित्र को देखकर सभी हैरान हो गए। उनकी तस्वीर लेने के लिए यात्रा लेखकों में होड़ मची रही। अधिकारियों ने बताया कि कभी बुद्ध यहां रूके थे।

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इस दौरान चकिया के एसडीएम डॉ अतुल गुप्ता, सीओ ऑपरेशन कृष्ण मुरारी शर्मा, वन क्षेत्राधिकारी रिजवान अली खान, थाना प्रभारी दीनदयाल पांडेय, टूरिस्ट ऑफिसर सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे।

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