धर्म का आचरण ही मनुष्य को पशुओं से अलग करता हैः प्रो. ईश्वर भारद्वाज
जो धारण करने योग्य है, वही धर्म है अर्थात धारण करने योग्य आचरण को अपनाना धर्म का लक्षण है। मानव जीवन के लिए चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष बतलाए गए हैं। इनमें से धर्म का आचरण हमारे मन को पवित्र करता है।
कानपुर,अमन यात्रा। जो धारण करने योग्य है, वही धर्म है अर्थात धारण करने योग्य आचरण को अपनाना धर्म का लक्षण है। मानव जीवन के लिए चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष बतलाए गए हैं। इनमें से धर्म का आचरण हमारे मन को पवित्र करता है। एक सफल जीवन के लिए जीवन में धर्म का होना नितांत आवश्यक है। ये कहना है देव संस्कृति विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष शैक्षणिक प्रो. ईश्वर भारद्वाज का। प्रो. ईश्वर ‘‘वर्तमान काल में योग सूत्र की प्रासंगिकता’’ विषय पर आयोजित साप्ताहिक व्याख्यान श्रृंखला के षष्ठम व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
उन्होंने धर्म के 10 लक्षण बताये और कहा कि धर्म की मर्यादाओं का अभ्यास मन के लिए साबुन का काम करता है। महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित योग सूत्र के सिद्धांतों को ऋषियों के साथ-साथ वर्तमान समय के मनुष्यों के लिए प्रासंगिक बताया। अतः योग सूत्र में प्रतिपादित सभी सिद्धांत संपूर्ण मानव समाज के लिए अपनाने योग्य हैं।
संस्थान के निदेशक डॉ. दिग्विजय शर्मा ने सत्र का शुभारम्भ करते हुए कहा कि इस व्याख्यान श्रृंखला के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हीं की प्रेरणा से योग जैसी प्राचीन और लाभकारी विद्या का प्रसार विश्वविद्यालय के माध्यम से कराया जा रहा है।
व्याख्यान श्रृंखला के समन्वयक डॉ. राम किशोर, ने स्कूल आफ हेल्थ साइंसेस संस्थान द्वारा संचालित बी.एस-सी. इन योग और एम.एस-सी./एम.ए. इन योग की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इसकी प्रवेश प्रक्रिया और उससे जुड़ी समस्त जानकारी शीघ्र ही विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी जायेगी।