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न्यायाधीश और अधिवक्ता न्यायिक रथ के दो पहिये : जिला जज लाल चन्द्र गुप्त
जिला जज ने कहाकि अधिवक्ता न्यायालय का अधिकारी है यदि उसे स्वयं,वादकारी या समाजहित में किसी प्रकार की समस्या आती है तो उसका समाधान वार्ता और लिखित पत्राचार से करने का प्रयास करना चाहिए न कि हड़ताल जैसे कठोर निर्णय से क्योंकि हड़ताल किसी समस्या के निदान का सही रास्ता नहीं हो सकता।
- दोनों का अन्योन्याश्रित संबंध
कानपुर देहात,सुशील त्रिवेदी,अमन यात्रा : न्यायाधीश और अधिवक्ता, न्याय प्रशासन रूपी रथ के दो पहिये है,इन्हें पृथक नहीं किया जा सकता है और इन दोनों में से किसी भी एक की कमी से न्याय प्रदान नहीं किया जा सकता है,यह बात जनपद कानपुर देहात के नव नियुक्त जिला जज लाल चन्द्र गुप्ता ने उनसे एकीकृत बार एसोसिएशन अध्यक्ष सम्पत लाल यादव कानपुर देहात बार एसोसिएशन के संस्थापक महामन्त्री जितेन्द्र प्रताप सिंह चौहान, मुलायम सिंह यादव, पूर्व महामन्त्री जिला बार एसोसिएशन रमेश चन्द्र सिंह गौर, उपाध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन एवम अनूप सिंह, अधिवक्ता शिष्टमंडल द्वारा शिष्टाचार भेंट के दौरान कही।जिला जज ने कहाकि अधिवक्ता न्यायालय का अधिकारी है यदि उसे स्वयं,वादकारी या समाजहित में किसी प्रकार की समस्या आती है तो उसका समाधान वार्ता और लिखित पत्राचार से करने का प्रयास करना चाहिए न कि हड़ताल जैसे कठोर निर्णय से क्योंकि हड़ताल किसी समस्या के निदान का सही रास्ता नहीं हो सकता।
उन्होंने कहाकि अधिवक्ता वर्ग हमारे देश में एक ऐसा संगठन है,जो कि समाज में सम्मान जनक स्थिति गरिमा मय स्थिति प्राप्त किये हुए है इस स्थिति को बनाये रखने के अधिवक्ता सार्थक पहल के साथ काम करे तो इससे बेहतर अधिवक्ताओं की भूमिका नहीं हो सकती है।इस अवसर पर जिला जज लाल चन्द्र गुप्ता ने अधिवक्ताओं के शिस्ट मण्डल से समस्याओं के बारे में जानकारी कर उसका उनके स्तर की समस्याओं कार त्वरित निस्तारण करने तथा उच्च स्तर की समस्याओं का पत्राचार और उच्च न्यायालय स्तर पर समस्याओं को अपने स्तर से रख समाधान करने की बात कही साथ ही कहाकि कोई समस्या आने अधिवक्तागण उसे प्रथम अपर जिला जज सुनील कुमार यादव को भी अपनी समस्या बता सकते है।
इस अवसर पर जिला जज ने अधिवक्ताओं की समाज के प्रति महत्वपूर्ण भूमिका बताते हुए कहाकि अधिवक्ता का प्राथमिक कर्तव्य संविधान के अनुसार-विधि का शासन समाज में बनाए रखने में अपना योगदान प्रदान करना होता है।अधिवक्ता वर्ग का यह कर्तव्य बन पड़ता है कि वह प्रत्येक व्यक्ति के विधिक अधिकारों की रक्षा करें।