साहित्य जगत

“पिता : छोटा शब्द गूढ़ अभिव्यक्ति”

अमन यात्रा

 

माँ से मिलती ममता। तो पिता से मिलती जीवन जीने की अनमोल क्षमता॥

माँ को कहते जीवन उद्धारक। तो पिता भी है जीवन का कष्ट निवारक॥

मेरी मुस्कुराहटों की लड़ियाँ देखकर जो खुद झूम जाता है वह है पिता। मेरी परवरिश की व्यवस्था में जो दिन-रात का अंतर भूल जाता है। जो पितृत्व का कभी भी बोध नहीं कराता वह है पिता। जो मेरे खर्चों की व्यवस्था में खुद खर्च हो जाता है। मेरे सपनों की उड़ान में ही जिसकी जिंदगी की शान है। मेरी इच्छाओं की चिट्ठी का जो कभी अंत नहीं होने दे वह है पिता। मेरी जिद को हर सांस तक पूरा करने का जो अविराम संकल्प लेता है वह है पिता। वह हमेशा एक छत की तरह मेरी रक्षा में लगा रहता है। पिता एक मौन साधक है जो बच्चे के लालन-पालन में शांतभाव से बस तपस्या करता रहता है। पिता कभी भी अपनी भावनाओं को जाहीर नहीं करता। वह केवल तटस्थ भाव से अपने कार्यों को परिणामों की ओर ले जाता है। वह पिता ही तो होता है जो बचपन में ही कंधे पर बैठाकर ऊंचाइयों का एहसास कराता है। पिता की जिंदगी आज में नहीं भविष्य की उधेड़बून में बीतती है। पिता का गहन अवलोकन भविष्य के लिए बच्चे को हर मापदंड पर तैयार करना होता है। विषाद की घड़ी में भी जो केवल हर्ष का एहसास कराए वह है पिता।

माँ के होते है हम दुलारे और प्यारे। पर जीवन की संघर्ष यात्रा होती पिता के सहारे॥

माँ का आशीर्वाद कर सकता चमत्कार। तो पिता भी सदैव कराते सत्य का साक्षात्कार॥

पिता तपती धूप में लगा रहने वाला एक अनोखा साधक है। उसके कडवे शब्दों में छुपी अच्छाई की वर्षा है। पिता तो तम को चीरता हुआ एक अद्वितीय प्रकाशपूंज है। पिता का स्वरूप तो सदैव सुरक्षा प्रदान करती ईश्वर की काया है। पिता का अपनत्व तो खुशियों की अनूठी माला है। उनके कठोर स्वभाव का ढंग भी अद्भुत और निराला है। शब्दों की कड़वी सच्चाई का वह जीवन में मधुर गान है। पिता का होना ही तो जीवन में खुशियों की खान है। निराशा में आशा का शंखनाद करने वाला है पिता। सारे दु:ख अपने ऊपर लेने वाला महान है पिता। जीवन के मधुर संगीत की खनखनाहट है पिता। मेरी मीठी मुस्कान को दीवार के पीछे छुपकर जीने वाले है पिता। ज़िम्मेदारी का अद्वितीय बोध है पिता। उत्कंठा का कड़वा घूंट पीकर भी हौसलों की उड़ान देने वाले है पिता। बच्चे के लड़खड़ाते कदमों पर साहस का रूप है पिता। डर की अभिव्यक्ति कराकर पीछे खड़े रहकर हिम्मत दिलाने वाले है पिता। मेरे मकान की बुनियाद और स्तम्भ है मेरे पिता। पिता की कठोर आवाज जिंदगी को मधुरता का स्वर देती है। उनका कठोर स्वभाव ही हमें मोतियों की तरह पिरोएँ रखता है। अंदर से कमजोर और बाहर से मजबूती की मिसाल है पिता। अडिगता के तेवर की पहचान है पिता। प्रताड़ना की कड़ी में सुधारक है पिता। संघर्षों का महत्व समझाकर सच की ओर धकेलने वाले है पिता। शांतचित्त दिखने वाले अशांत सागर में थपेड़े खाने वाले है पिता। मेरी उलझनों को सुलझाने में खुद उलझे रहने वाले है पिता। मेरी योजनाओं की सफलता में अनेकों योजन अविराम चलने वाले है पिता।

माँ की ममता जीवन नैया को तारे। तो पिता का स्नेह करता वारे-न्यारे॥

माँ की महिमा को तो मिलते अनेकों अलंकार। पर पिता ही दिलाते जीवन में सच्ची जय-जयकार॥

डॉ. रीना कहती, माँ अगर है धरा का रूप। तो पिता है उन्नत गगन का स्नेहिल स्वरूप॥

मेरी खुशियों की खरीददारी में जो रोजाना बाजार का भ्रमण करते है वह है पिता। मुश्किलों के पहाड़ की चढ़ाई है पिता। सफलता के पायदान का गुणगान है पिता। मेरे दु:ख के साझेदार है और खुशियों के दावेदार है पिता। कागज की टुकड़ों की कमाई में जिनका लक्ष्य केवल मेरी प्रसन्नता की कमाई है वह है पिता। एक अटल चट्टान का अविराम प्रयास है पिता। पिता का चित्रांकन और गुणगान तो शब्दों से परे है पर मैंने छोटा सा प्रयास किया है पिता की अभिव्यक्ति का। अंत में पितृत्व दिवस सभी पिता को नमन, वंदन और अभिनंदन।

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका

Print Friendly, PDF & Email
AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

AD
Back to top button