उत्तरप्रदेशकानपुर देहात

मक्का,बाजरा एवं ज्वार में लगने वाले प्रमुख कीट एवं उनका प्रभावी नियंत्रण

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीपनगर कानपुर देहात के कृषि वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने मक्का,ज्वार, एवं बाजरा फसल में लगने वाले कीटों के नियंत्रण हेतु एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि

अमन यात्रा | चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीपनगर कानपुर देहात के कृषि वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने मक्का,ज्वार, एवं बाजरा फसल में लगने वाले कीटों के नियंत्रण हेतु एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि खरीफ मक्का 14049 हेक्टेयर, ज्वार 14676 हेक्टेयर एवं बाजरा की खेती जनपद में 21956 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। उन्होंने बताया कि मक्के में कार्बोहाइड्रेट 70%, प्रोटीन 10% के अलावा अन्य पोषक पदार्थ भी पाया जाता है। जिसके कारण इसका उपयोग मनुष्य के साथ-साथ पशु आहार के रूप में भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि तना छेदक कीट मक्के के लिए सबसे अधिक हानिकारक कीट है। मक्का के अलावा यह ज्वार एवं बाजरे मे भी हानि पहुँचाता है | ध्यान देने वाली बात यह है कि इसकी सुंडियां 20 से 25 मिमी लम्बी और स्लेटी सफेद रंग की होती है। जिसका सिर काला होता है और चार लम्बी भूरे रंग की लाइन होती है। इस कीट की सुंडियाँ तनों में छेद करके अन्दर ही अन्दर खाती रहती हैं। फसल के प्रारम्भिक अवस्था में प्रकोप के फलस्वरूप मृत गोभ बनता है, परन्तु बाद की अवस्था में प्रकोप अधिक होने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं और भुट्टे छोटे आते हैं एवं हवा चलने पर पौधा बीच से टूट जाता है।

इस कीट के नियंत्रण हेतु किसान भाई मक्का की फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें। इसके रसायनिक नियंत्रण हेतु क्विनालफास 25 प्रतिशत, ई.सी. 1.5 ली. को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करेें। उन्होंने बताया कि फॉल आर्मीवर्म ऐसा कीट है, जो कि एक मादा पतंगा अकेले या समूहों में अपने जीवन काल में एक हजार से अधिक अंडे देती है। इसके लार्वा पत्तियों को किनारे से पत्तियों की निचली सतह और मक्के के भुट्टे को भी खाते हैं। इसकी लार्वा अवस्था ही मक्का की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का सही प्रयोग करें।

खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करें। इस कीट के नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशक जैसे ट्रानिलिप्रोएल 5 प्रतिशत 0.4 मिली की दर से प्रति लीटर पानी या स्पिनेटोरम 11.7 प्रतिशत एस.सी. 0.5 मिली की दर से प्रति लीटर पानी या थायोमेथोक्जाम 12.6 प्रतिशत + लेम्डा साइहेलोथ्रिन मिक्चर 9.5 प्रतिशत जेड. सी. 0.25 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। अथवा इमामे ट्रिन बेंजोएट 1 ग्राम 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें।मक्का, ज्वार तथा बाजरे की फसल के चारो तरफ गेन्दा या लोबिया की बुआई करने से भी कीट का नियंत्रण किया जा सकता है

हरे भुट्टे हेतु बोई फसल मे भुट्टा तोड़ने के 15 दिन पहले दवा का छिड़काव बंद कर दें |

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AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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