उत्तरप्रदेशकानपुर देहातफ्रेश न्यूजलखनऊ

पुरानी पेंशन लागू करने हेतु सरकार ने भरी हामी

केंद्र सरकार ने नई पेंशन स्कीम के रिव्यू के लिए कमेटी गठित करने का ऐलान किया है। केंद्र सरकार और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के बीच लंबे समय से इसको लेकर टकराव देखने को मिल रहा है। नई और पुरानी पेंशन स्कीम में कुछ अंतर हैं।

Story Highlights
  • पुरानी और नई पेंशन स्कीम में क्या है अंतर
  • किसमें मिलेगा सरकारी कर्मचारियों को अधिक फायदा सरकार कर रही विचार 

लखनऊ/ कानपुर देहात। केंद्र सरकार ने नई पेंशन स्कीम के रिव्यू के लिए कमेटी गठित करने का ऐलान किया है। केंद्र सरकार और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के बीच लंबे समय से इसको लेकर टकराव देखने को मिल रहा है। नई और पुरानी पेंशन स्कीम में कुछ अंतर हैं। पुरानी पेंशन स्कीम में सरकारी कर्मचारियों को अधिक फायदे हैं इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी रिस्क नहीं है जिस कारण से सभी कर्मचारी पुरानी पेंशन की लगातार मांग कर रहे हैं।

केंद्र सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम के रिव्यू के लिए कमेटी बनाने का ऐलान किया है। देश में लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान चल रही है। गैर बीजेपी राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम अहम मुद्दा रही है। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान पुरानी पेंशन स्कीम को बड़ा मुद्दा बनाया था। कांग्रेस जब जीतकर सत्ता में आई तो उसने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का ऐलान किया। केंद्र सरकार रुख इस स्कीम को लेकर हमेशा विपक्ष से उलट रहा है। मोदी सरकार इसे लागू करने के पक्ष में अभी तक नजर नहीं आई है लेकिन अब सरकार ने नई पेंशन स्कीम को रिव्यू करने के लिए कमेटी गठित करने का ऐलान किया है तो ऐसे में आइए समझ लेते हैं कि नई और पुरानी पेंशन स्कीम में अंतर क्या है।

कब से लागू है नई पेंशन स्कीम-

देश में नई पेंशन स्कीम एक जनवरी 2004 से लागू है। पुरानी और नई पेंशन स्कीम में काफी अंतर है। दोनों के कुछ फायदे और नुकसान हैं। पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रकम का भुगतान सरकार के खजाने से होता है। वहीं पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है।

ओपीएस के तहत रिटायरमेंट के समय वेतन की आधी राशि कर्मचारियों को पेंशन के रूप में दी जाती है क्योंकि पुरानी स्‍कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के मुताबिक होता है जबकि नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है क्योंकि ये शेयर बाजार पर आधारित है जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है। यह एक तरीके का जुआ है।

शेयर मार्केट पर आधारित है एनपीएस-

पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। एनपीएस में कर्मचारियों की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है। नई पेंशन स्कीम में जीपीएफ की सुविधा उपलब्ध नहीं है जबकि पुरानी पेंशन स्कीम में ये सुविधा कर्मचारियों को मिलती है। अगर नई पेंशन स्कीम की बात करें तो इसमें रिटर्न बेहतर रहा, तो प्रोविडेंट फंड और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छा पैसा मिल सकता है। चूंकि ये शेयर मार्केट पर आधारित स्कीम है इसलिए कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम भी हो सकता है। पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। वहीं रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है। सबसे अहम बात ये है कि पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद मिलने वाले डीए का प्रावधान है, यानी जब सरकार नया वेतन आयोग लागू करती है तो भी इससे पेंशन की रकम में बढ़ोतरी होती है।

क्या सरकारी खजाने पर बढ़ेगा बोझ-

केंद्र सरकार अब तक कहती रही है कि ओल्ड पेंशन स्कीम सरकार पर भारी बोझ डालती है। यही नहीं पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ बढता है। रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने से राजकोषीय संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ेगा और राज्यों की सेविंग पर नेगेटिव प्रभाव पड़ेगा जबकि अर्थशास्त्री इसे बिल्कुल ही उल्टा बता रहे हैं उनका कहना है कि पुरानी पेंशन में सरकारी कर्मचारियों को ही फायदा नहीं है बल्कि सरकार को भी इससे काफी फायदा है अत: सरकार को पुरानी पेंशन पुन: लागू कर देनी चाहिए।

Print Friendly, PDF & Email
AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

AD
Back to top button