।। नीर की बूंद बूंद हैं कीमती ।।
जल बिन जीवन हैं शून्य
एक प्यासा,एक तलबगार ही
समझेगा इस अमूल्य धन की कीमत ।
मानव के जिस्म का 70 प्रतिशत भाग
भी पानी से बना हैं
वो,
निरीह प्राणी,फिर
क्यूं हैं तू इसके लिए इतना लापरवाह ।।
भविष्य निधि हैं ये जल
इसका संरक्षण करना हो मात्र हमारा उद्देश ।
ये नदियों का उफान ।
ये कल कल की आवाज कर बहते झरने ।।
ये पोखर और ये तालाब का पानी
कहता हैं हमसे बस यही कहानी ।
सहेज लो मुझे,
मुझसे ही हैं ओ मानव,
तेरा आज,कल और अमूल्य सागर
भविष्य का ।।
आइए,मिलकर संरक्षित करे जल को
जिससे,
सुरक्षित हो सके हमारा कल ।।
स्नेहा कृति(रचनाकार ,पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक )